तोंप का फूल
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सायनाइड की शीशियों में मिट्टी भरकर
खेल रहे बच्चे
फूल तोडने के लिए जंगल में घुसे
फौजी की वर्दी पहने
जंगली पेड़ों के बीच
खडे हुए तोंपों पर
झंडे कि पहराए
खून से भीगे सफेद की बर्दी
उत्खने हुए जंगल के बीच
युध्द पूर्वाभ्यास की
कंपनने आवाज से कांप उठीं जंगल की
आंखें
' अब से किनके पर युध्द?
बच्चे के चेहरों पर अंतहीन
सवाल
जंगल के फलों सारे
साइनाइड की बोतलें लटकाईं
खून के दागों से लाल हुए रास्तों पर
किसी खींचे गए
उंगली की पहचानों
एक देश दफन गयी भूमि में
' कब चाहने तो भी युध्द ' कि
बढती हुआ खडने एक तोंप की मुंह नली
के पास
एक कलिहारी की लता फैलाव उठने
उसका फूल
पानी की बूंदों के साथ खुलने से
खिला था
एक बचता की
मुस्कान भरे चेहरा से |
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तमिल में : दीपच्चेलवन
हिन्दी में : वचन्त दीपन
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